समय के साथ आगे बढ़ना है, तो खुद को अपडेट रखना ही होगा और मेहनत भी करनी होगी। इस चक्कर में हम दिन-रात काम करते हैं अपनी सेहत से सौदा कर बैठते हैं। जब तक हम इस बात को समझते हैं, तब तक कई बीमारियां हमारे शरीर में जगह बना लेती हैं। इन दिनों लोग सबसे ज्यादा मोटापे और थायराइड से परेशान हैं। पूछने पर हर कोई यही कहता है कि मोटापा लगातार बढ़ रहा है। भारत में 4.2 करोड़ लोग थायराइड से ग्रस्त हैं ((1)। आप इस आंकड़े से ही समझ गए होंगे कि थायराइड किस तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
खैर, आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस आर्टिकल के जरिए आपको पता चलेगा कि थायराइड का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताएंगे, जो जरूर आपके काम आएंगे। साथ ही बताएंगे कि थायराइड में परहेज किस प्रकार करना है। इस विषय पर हम क्रमवार बात करेंगे।
विषय सूची
- थायराइड क्या है – What is Thyroid in Hindi
- थायराइड के प्रकार – Types of Thyroid in Hindi
- थायराइड के लक्षण – Thyroid Symptoms in Hindi
- थायराइड के कारण और जोखिम कारक- Thyroid Causes and Risk Factors in Hindi
- थायराइड का इलाज – Thyroid Treatments in Hindi
- थायराइड के घरेलू उपचार – Thyroid Home Remedies in Hindi
- थायराइड चार्ट – Thyroid Chart in Hindi
- थायराइड में क्या खाएं, क्या न खाएं – Diet for Thyroid in Hindi
- थायराइड से बचाव – Thyroid Prevention Tips in Hindi
सबसे पहले हम आपको यह बताते हैं कि आखिर थायराइड क्या है।
थायराइड क्या है – What is Thyroid in Hindi
थायराइड कोई बीमारी नहीं, बल्कि हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली एक ग्रंथि होती है। यह तितली के आकार की होती है। यही ग्रंथि शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस का सीधा असर हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है। साथ ही ये हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करते हैं। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है, इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं (2)।
एक अन्य हार्मोन जिसे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) कहते हैं। यह मस्तिष्क में पिट्यूरी ग्रंथि से जारी होता है। यह शरीर में अन्य दो थायराइड हार्मोंस के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को और जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे ज्यादा हो, उन्हें थायराइड होने की आशंका ज्यादा होती है। साथ ही अगर आपके परिवार में पहले किसी को यह समस्या रही हो, तो आपको भी यह होने की आशंका ज्यादा रहती है (3)।
अब हम बात करते हैं कि थायराइड कितने प्रकार का हो सकता है।
थायराइड के प्रकार – Types of Thyroid in Hindi
मुख्य रूप से थायराइड के छह प्रकार माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
- हाइपो थायराइड : जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम मात्रा में हार्मोंस का निर्माण नहीं करती है।
- हाइपर थायराइड : जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करती है।
- थायराइडिटिस : जब थायराइड ग्रंथि में सूजन आती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करती है, जिससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है।
- गॉइटर : भोजन में आयोडीन की कमी होने पर ऐसा होता है, जिससे गले में सूजन और गांठ जैसी नजर आती है। इसका शिकार ज्यादातर महिलाएं होती हैं। इसलिए, महिलाओं में थायराइड रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं।
- थायराइड नोड्यूल : इसमें थायराइड ग्रंथि के एक हिस्से में सूजन आ जाती है। यह सूजन कठोर या फिर किसी तरल पदार्थ से भरी हुई हो सकती है।
- थायराइड कैंसर : जब थायराइड ग्रंथि में मौजूद टिशू में कैंसर के सेल बनने लगते हैं।
आगे हम थायराइड के कुछ प्रमुख लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
थायराइड के लक्षण – Thyroid Symptoms in Hindi
अगर शरीर में निम्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो ये थायराइड की ओर संकेत हो सकते हैं (5):
- कब्ज
- थकावट
- तनाव
- रूखी त्वचा
- वजन बढ़ना
- पसीना आना कम होना
- ह्रदय गति का कम होना
- उच्च रक्तचाप
- जोड़ों में सूजन या दर्द
- पतले और रूखे-बेजान बाल
- याददाश्त कमजोर होना
- मासिक धर्म का असामान्य होना
- प्रजनन क्षमता में असंतुलन
- मांसपेशियों में दर्द
- चेहरे पर सूजन
- समय से पहले बालों का सफेद होना
हमारे लिए थायराइड के मुख्य कारणों (thyroid hone ke karan) के बारे में भी जानना जरूरी है, जिसके बारे में हम आगे बता रहे हैं।
थायराइड के कारण और जोखिम कारक- Thyroid Causes and Risk Factors in Hindi
थायराइड होने के सबसे अहम कारण (thyroid hone ke karan) इस प्रकार हैं (6):
- एंटीबायोटिक लेने से आंतों में यीस्ट (एक प्रकार की फंगस) बननी शुरू हो जाती है। यीस्ट टॉक्सीन थायराइड ग्रंथि में बाधा पहुंचाने का काम करती है।
- पीने के पानी में क्लोरीन होने से थायराइड ग्रंथि बाधित हो जाती है।
- फ्लोराइड युक्त पेस्ट और पानी के कारण भी थायराइड ग्रंथि को काम करने में दिक्कत होती है।
- हाशिमोटो थायराइड जैसे ऑटोइम्यून विकार सीधा थायराइड ग्रंथि पर हमला करते हैं।
- टाइप-1 डायबिटीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सीलिएक रोग व विटिलिगो जैसे ऑटोइम्यून विकार भी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करते हैं।
- गर्दन के लिए रेडियेशन थेरेपी और रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार भी थायराइड का कारण बन सकता है।
- अमियोडेरोन, लिथियम, इंटरफेरॉन अल्फा और इंटरल्यूकिन-2 जैसी दवाइयां लेना भी एक कारण है।
- आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, मोलिब्डेनम, बोरोन, तांबा, क्रोमियम, मैंगनीज और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण भी थायराइड हो सकता है।
- गर्भावस्था के कारण।
- थायराइड ग्रंथि में कमी आने के कारण।
- पिट्यूटरी ग्रंथि के क्षति होने या खराब होने पर।
- हाइपोथैलेमय में विकार आने पर।
- अधिक उम्र होने पर।
आर्टिकल के इस भाग में हम थायराइड के विभिन्न उपचारों के बारे में बता रहे हैं।
थायराइड का इलाज – Thyroid Treatments in Hindi
थायराइड का इलाज (thyroid ka ilaj) मरीज की उम्र, थायराइड ग्रंथि कितने हार्मोन बना रही है और मरीज की चिकित्सीय परिस्थिति के अनुसार किया जाता है। हमने ऊपर बताया था कि थायराइड छह प्रकार का होता है, तो हम इलाज भी उसी के अनुसार बता रहे हैं (4)।
- हाइपो थायराइड : इसका इलाज दवा के जरिए किया जा सकता है। दवा के सेवन से शरीर को जरूरी हार्मोंस मिलते हैं। इसमें डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी-4 लेने की सलाह देते हैं, जिससे शरीर में हार्मोंस का निर्माण शुरू हो जाता है। हाइपो थायराइड की अवस्था में यह दवा जीवन भर लेनी पड़ती है। अगर आप इसे डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते हैं, तो आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा।
- हाइपर थायराइड : डॉक्टर थायराइड रोग के लक्षण (thyroid ke lakshan) और कारणों के आधार पर हाइपर थायराइड का इलाज (thyroid ka ilaj) करते हैं। यह इलाज इस प्रकार से होता है :
दवाइयां
- डॉक्टर आपको एंटीथायराइड दवा दे सकते हैं, जिसके सेवन से थायराइड ग्रंथि नए हार्मोन का निर्माण करना बंद कर देगी। भविष्य में इस दवा से थायराइड ग्रंथि को कोई नुकसान नहीं होगा।
- बीटा-ब्लॉकर दवा के सेवन से थायराइड हार्मोन का शरीर पर असर पड़ना बंद हो जाएगा। साथ ही दवा ह्रदय गति को भी सामान्य कर सकती है। इसके अलावा, जब तक अन्य किसी इलाज का असर शुरू नहीं होता, तब तक यह दवा दूसरे लक्षणों के असर को भी कम कर सकती है। एक खास बात यह है कि इस दवा के सेवन से जरूरी थायराइड हार्मोन बनने में कोई कमी नहीं आती।
रेडियोआयोडीन : इस उपचार से थायराइड हार्मोंस बनाने वाले थायराइड सेल को नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन यह हाइपो थायराइड का कारण बन सकता है।
सर्जरी : सर्जरी तब की जाती है, जब मरीज को कुछ निगलने या फिर सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके जरिए काफी हद तक या फिर पूरी तरह से थायराइड को निकाल दिया जाता है। इससे भी हमेशा के लिए हाइपो थायराइड का अंदेशा पैदा हो सकता है।
- थायराइडिटिस : इसका इलाज भी डॉक्टर थायराइड रोग के लक्षणों व बीमारी के स्तर को देखकर करते हैं। उदाहरण के लिए अगर पहले स्तर में आप में हाइपर थायराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan) हैं, तो इलाज की शुरुआत दवाओं के जरिए की जाएगी, ताकि ह्रदय गति को सामान्य किया जा सके। ऐसा देखा गया है कि जिन महिलाओं को थायराइडिटिस था, उनमें से अधिकतर को फिर से थायराइड हुआ। यह महिलाओं में थायराइड लक्षण दिखने के 12 से 18 महीने के अंदर हुआ है। वहीं, अगर आपको पहले भी थायराइडिटिस रहा है, तो अगले पांच से दस साल में स्थाई रूप से हाइपो थायराइड होने की आशंका बढ़ जाती है।
- गॉइटर : अगर आपकी थायराइड ग्रंथि सही प्रकार से काम कर रही है, तो इसमें कोई इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। कुछ समय में यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। वहीं, अगर इलाज किया भी जाता है, तो डॉक्टर ऐसी दवा देते हैं, जिससे थायराइड सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ जाता है। कुछ गंभीर मामलों में ही सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
- थायराइड नोड्यूल : इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज की ग्रंथि की स्थिति किस प्रकार की है। यह इलाज इस प्रकार से किया जाता है :
- अगर आपकी ग्रंथि कैंसर का रूप नहीं ले रही है, तो डॉक्टर सिर्फ आपकी स्थिति पर नजर रखेंगे। आपकी नियमित रूप से जांच की जाएगी और ब्लड टेस्ट व थायराइड अल्ट्रासाउंड टेस्ट किए जाएंगे। अगर ग्रंथि में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आता है, तो हो सकता है कि आपका कोई उपचार न किया जाए।
- अगर ग्रंथि का आकार बड़ा हो जाता है या फिर कैंसर का रूप धारण कर लेती है, तो डॉक्टर सर्जरी के विकल्प को चुनते हैं। ग्रंथि का आकार बड़ा होने से सांस लेने या कुछ निगलने में परेशानी हो सकती है।
- अगर ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन का निर्माण करती है, तो रेडियोआयोडीन का सहारा लिया जाता है। रेडियोआयोडीन के जरिए ग्रंथि को सिकोड़ा जाता है, ताकि वह कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण करे।
- थायराइड कैंसर : कैंसर का एकमात्र इलाज सर्जरी है। सर्जरी के जरिए या तो पूरी थायराइड ग्रंथि को निकाल दिया जाता है या फिर आराम से जितने हिस्से को निकाला जा सके। अगर कैंसर छोटा है और लिम्फ नोट्स में नहीं फैला है, तो सर्जरी बेहतर विकल्प है। इसके अलावा, डॉक्टर सर्जरी के बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्जरी के दौरान जो कैंसर सेल अंदर ही रह जाते हैं या अन्य जगह फैल जाते हैं, उन्हें रेडियोआयोडीन थेरेपी के जरिए नष्ट किया जाता है। थायराइड कैंसर का इलाज करने से पहले एक बार डॉक्टर आपसे उपचार के संबंध में बात कर सकते हैं।
अब नंबर है थायराइड को ठीक करने में सक्षम घरेलू उपचारों के बारे में जानने का।
थायराइड के घरेलू उपचार – Thyroid Home Remedies in Hindi
1. अश्वगंधा
सामग्री :
- अश्वगंधा का कैप्सूल (500mg)
प्रयोग का तरीका :
- रोज अश्वगंधा का कैप्सूल खाएं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- आप प्रतिदिन एक या दो कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद
अश्वगंधा को एडापोजेनिक जड़ी-बूटियों की श्रेणी में रखा जाता है। यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी थायराइड हार्मोंस को संतुलित करने के लिए चमत्कारी तरीक से काम करती है (7) (8)। अक्सर, इसका इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए किया जाता है। साथ ही यह तनाव को कम करके शारीरिक क्षमता को बेहतर करने में भी सक्षम है। इन तमाम खूबियों के कारण ही थायराइड के इलाज में अश्वगंधा बेहरत विकल्प है। इसलिए, थायराइड के घरेलू उपचार (thyroid ka gharelu ilaj) के तौर पर अश्वगंधा का प्रयोग कर सकते हैं।
2. एसेंशियल ऑयल
- रोजमेरी तेल
सामग्री :
- रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंद
- एक चम्मच नारियल तेल
प्रयोग का तरीका :
- रोजमेरी तेल को नारियल तेल में मिक्स कर दें।
- अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशन पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इस बारे में आप ऑनलाइन के जरिए या डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।
- इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें और तेल को त्वचा के अंदर सोखने के लिए छोड़ दें।
- आप रोजमेरी तेल की कुछ बूंदें नहाने वाले पानी में डालकर 15 से 20 मिनट तक उसमें बैठ भी सकते हैं।
- अगर थायराइड के कारण आपके सिर के बाल उड़ रहे हैं, तो रोजमेरी तेल से सिर की मालिश भी कर सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- जल्द आराम पाने के लिए प्रतिदिन कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद
रोजमेरी तेल का प्रयोग करने से शरीर में आई सूजन को कम करने में मदद मिलती है (9)। जब आप थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर इस तेल से मालिश करते हैं, तो थायराइड हार्मोंस सुचारू रूप से काम करने लगते हैं (10)।
- लोबान तेल
सामग्री :
- लोबान तेल की तीन-चार बूंद
- एक चम्मच नारियल तेल
प्रयोग का तरीका :
- दोनों तेल को आपस में मिक्स कर लें।
- अब इस तेल को गर्दन, पैरों के नीचे और थायराइड के अन्य एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाकर मालिश करें।
- आप खाने में भी इस तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- प्रतिदिन कम से कम एक बार करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
थायराइड के कारण होने वाली समस्याओं जैसे – त्वचा में जलन, खराब पेट और सूजन से राहत दिलाने में लोबान का तेल प्रयोग किया जा सकता है। यह तेल पाचन तंत्र को बेहतर करने और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में कारगर है। साथ ही सूजन से भी राहत दिलाता है (11)।
3. मिनरल्स
सामग्री :
- अच्छी तरह से शरीर में घुल जाने वाले ऐसा तरल मिनरल सप्लीमेंट, जिसमें नौ तरह के मिनरल्स (आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, मोलिब्डेनम, बोरोन, कॉपर, क्रोमियम, मैंगनीज और मैग्नीशिय) शामिल हों। ये सभी मिनरल्स थायराइड हार्मोंस का निर्माण करने में सक्षम हैं।
प्रयोग का तरीका :
- डॉक्टर से बात करके तय करें कि आपकी सेहत के अनुसार किस प्रकार के सप्लीमेंट्स आपके लिए बेहतर हैं और फिर प्रतिदिन तरल सप्लीमेंट का सेवन करें।
कितनी बार करें प्रयोग?
- थायराइड को बेहतर करने के लिए इसका लंबे समय तक प्रयोग करना जरूरी है।
इस प्रकार है फायदेमंद
थायराइड की समस्या आयोडीन की कमी और अन्य जरूरी मिनरल्स की कमी के कारण होती है। इसलिए, सप्लीमेंट्स का सेवन करने से शरीर में मिनरल्स के स्तर को संतुलित रखा जा सकता है (12)।
4. केल्प
सामग्री :
- केल्प का सप्लीमेंट, जिसमें 150-175 माइक्रोग्राम आयोडीन हो।
प्रयोग का तरीका :
- केल्प के इस सप्लीमेंट का सेवन करें।
कितनी बार करें प्रयोग?
- कुछ हफ्तों या महीनों तक प्रतिदिन एक बार इसका सेवन करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
केल्प एक प्रकार की समुद्री खरपतवार होती है, जो समुद्री की गहराई में पाई जाती है। इसे आयोडीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। जब आप केल्प के सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, तो शरीर में थायराइड हार्मोंस का निर्माण होता है, जिससे थायराइड जैसी समस्या से राहत मिलती है (13) (14)। थायराइड के घरेलू उपचार (home remedies for thyroid) के तौर पर यह बेहतरीन विकल्प है।
5. गुग्गुल
सामग्री :
- गुग्गुल का 25mg सप्लीमेंट
प्रयोग का तरीका :
- प्रतिदिन 25mg सप्लीमेंट का सेवन करें।
कितनी बार करें प्रयोग?
- रोज तीन बार सेवन करने से थायराइड से जल्द राहत मिलेगी।
इस प्रकार है फायदेमंद
गुग्गुल को गुग्गुल के पेड़ से प्राप्त किया जाता है। इसका प्रयोग कील-मुंहासों, सूजन को कम करने और वजन कम करने के लिए किया जाता है। गुग्गुल में गुग्गुलुस्टेरोन पाया जाता है, जो थायराइड की गतिविधि को ठीक कर हाइपो थायराइड से राहत दिलाता है (15) (16)।
सावधानी : इसका प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
6. विटामिन्स
सामग्री :
- विटामिन्स से भरपूर फल व हरी पत्तेदार सब्जियां
प्रयोग का तरीका :
- अपनी प्रतिदिन की डायट में इन फलों व सब्जियों को शामिल करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
भोजन में विटामिन्स, खासकर विटामिन-बी12 और सी की कमी होने पर भी हाइपो थायराइड का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, डॉक्टर प्रतिदिन विटामिन-बी12 और सी युक्त खाद्य पदार्थ खाने की सलाह देते हैं।
विटामिन-बी12 थायराइड ग्रंथि को बेहतर करने में मदद करता है। वहीं, विटामिन-सी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है, जो आक्सिडेटिव स्ट्रेस से लड़ने में मदद करता है (17) (18)। ये विटामिन्स सिट्रस फलों, हरी पत्तेदार सब्जियों, मछलियों, मीट, अंडे और डेयरी उत्पादों में भारी मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन्स के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
7. अलसी
सामग्री :
- एक चम्मच अलसी का पाउडर
- एक गिलास दूध या फलों का रस
प्रयोग का तरीका :
- अलसी के पाउडर को दूध या फिर फलों के रस में डालें।
- अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- आप इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद
अलसी को अल्फा लिनोलेनिक एसिड यानी ओमेगा-3 फैटी एसिड का प्रमुख स्रोत माना जाता है। अलसी थायराइड हार्मोंस के निर्माण में मदद करती है (19)। अलसी में पाइथोएस्ट्रोजेनिक गुण भी होते हैं, जो यौन संबंधी हार्मोंस को भी संतुलित करते हैं, जिससे थायराइड बेहतर होता है। साथ ही इसमें मैग्नीशियम और विटामिन-बी12 भी होता है, जो शरीर की कार्यप्रणाली में सुधार लाते हैं और हाइपो थायराइड के लक्षणों (thyroid ke lakshan) को खत्म करने का काम करते हैं।
सावधानी : ध्यान रहे कि एक दिन में दो चम्मच से ज्यादा अलसी का सेवन न करें। अलसी का अधिक सेवन करने से बीमारी पर बुरा असर पड़ सकता है। अलसी जल्द खराब हो जाती है, इसलिए इसे फ्रिज में स्टोर करके रखें और उपयोग करके से ठीक पहले इसके बीजों को ग्राइंड करें।
8. नारियल तेल
सामग्री :
- एक-दो चम्मच 100 प्रतिशत वर्जिन नारियल तेल
प्रयोग का तरीका :
- आप प्रतिदिन नारियल तेल का सेवन करें। आप इसका या तो सीधा ही सेवन कर सकते हैं या फिर सलाद पर डालकर सेवन कर सकते हैं।
- आप इस तेल से खाना भी बना सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- दिनभर में कम से कम दो-तीन बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
इस प्रकार है फायदेमंद
नारियल तेल में मध्यम स्तर का फैटी एसिड होता है, जो कई लिहाज से गुणकारी है। प्रतिदिन नारियल तेल का सेवन करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म व तापमान बेहतर होता है, जिससे हाइपो थायराइड के असर को कम किया जा सकता है। साथ ही वजन को भी कम किया जा सकता है (20) (21)। अगर आप नारियल तेल को थायराइड के घरेलू उपचार (home remedies for thyroid) के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, तो आपको जल्द आराम मिल सकता है।
9. अदरक
सामग्री :
- थोड़ा-सा अदरक
- एक कप पानी
- शहद
प्रयोग का तरीका :
- सबसे पहले तो अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें।
- इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें।
- अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिएं।
- आप खाना बनाने में भी अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा, अदरक को ऐसे ही चबा भी सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- अदरक की चाय को दिन में तीन बार पिया जा सकता है।
इस प्रकार है फायदेमंद
थायराइड के इलाज के लिए अदरक भी बेहतरीन घरेलू उपाय है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम और जिंजरोल जैसे पॉलीफेनोल पाए जाते हैं। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट का गुण भी है, जो थायराइड से लड़ने में सक्षम है (22)।
10. काली मिर्च
सामग्री :
- काली मिर्च के सात दाने
प्रयोग का तरीका :
- काली मिर्च के दानों को अच्छी तरह पीसकर पाउडर बना लें।
- अब इस पाउडर को सलाद पर, सब्जी-दाल में, सूप में, नींबू पानी या शरबत में डालकर सेवन करें।
कितनी बार करें प्रयोग?
- करीब 15 दिन तक लगातार इसका सेवन करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
काली मिर्च को सदियों से भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। काली मिर्च में पिपेरिन नामक रसायन पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल की तरह काम करता है (23)। यह थायराइड को नियंत्रित करने के साथ-साथ वजन को भी कम करने में मदद करता है (24)। साथ ही यह सूजन को कम करने, पाचन तंत्र को बेहतर करने और खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने का करता है। इस लिहाज से थायराइड से ग्रस्त मरीजों के लिए काली मिर्च का सेवन करना जरूरी है।
11. धनिया पत्ता
सामग्री :
- पांच चम्मच सूखा साबुत धनिया
- एक गिलास पानी
प्रयोग का तरीका :
- साबुत धनिये को रातभर पानी में भिगोकर रखें।
- अगली सुबह एक गिलास पानी में धनिये को डालकर अच्छी तरह उबाल लें।
- इसके बाद पानी को छानकर खाली पेट पिएं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- करीब दो हफ्ते तक रोज सुबह-शाम इसका सेवन करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
थायराइड में धनिया का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। धनिये में विटामिन्स, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुण होते हैं (25)। ये सभी गुण थायराइड को ठीक करने में कारगर साबित हो सकते हैं।
12. लौकी जूस
सामग्री :
- एक लौकी
- एक इंच अदरक का टुकड़ा
- आधे नींबू का रस
- थोड़ा-सा काला नमक और सादा नमक (स्वादानुसार)
प्रयोग का तरीका :
- लौकी का छिलका उतारकर छोटे-छोटे टुकड़े कर दें।
- अदरक के भी छोटे-छोटे टुकड़े कर दें।
- अब लौकी और अदरक को मिक्सी में डाल दें। साथ ही थोड़ा-सा पानी डालकर ग्राइंड कर दें।
- इसके बाद थोड़ा-सा पानी और डालें।
- साथ ही सादा व काला नमक और नींबू का रस भी डाल दें।
- अब इस सारे मिश्रण को एक बार फिर से अच्छी तरह ग्राइंड कर दें।
- इस तरह लौकी का जूस तैयार है। अब आप इसे छानकर पिएं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
लौकी के रस में पोटैशियम, विटामिन-सी, बी, सोडियम और आयरन होता है। इस जूस का प्रतिदिन सेवन करने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि अगर रोज सुबह लौकी के रस में शहद मिलाकर पिया जाए, तो एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। इस तरह यह जूस पीने से न सिर्फ थायराइड से राहत मिलती है, बल्कि पाचन तंत्र बेहतर होता है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है (26)।
सावधानी : सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने के बाद आधे घंटे तक कुछ न खाएं।
13. दूध व दही
सामग्री :
- एक गिलास दूध
- एक कटोरी दही
प्रयोग का तरीका :
- सुबह-शाम दूध का सेवन करें।
- आप दूध को गर्म करके उसमें हल्दी मिक्स करके भी पी सकते हैं।
- आप भोजन के साथ एक कटोरी दही का सेवन कर सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- प्रतिदिन ऐसा करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
थायराइड की समस्या को ठीक करने के लिए दूध और दही अच्छा तरीका है। पोषक तत्वों की बात करें, तो दूध और दही में कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं। थायराइड के मरीज को इन सभी पोषक तत्वों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए, जितना संभव हो सके दूध और दही का सेवन करें।
सावधानी : हर किसी की शारीरिक संरचना भिन्न होती है। इसलिए, आपको इनका कितना सेवन करना है, इस संबंध में एक बार अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श कर लें।
14. एलोवेरा
सामग्री :
- दो चम्मच तुलसी के पत्तों का जूस
- आधा चम्मच एलोवेरा का जूस
प्रयोग का तरीका :
- इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिलाकर पिएं।
कितनी बार करें प्रयोग?
- प्रतिदिन सेवन करें।
इस प्रकार है फायदेमंद
एलोवेरा में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। यह किसी भी तरह की सूजन को कम करने में सक्षम है। साथ ही इसके सेवन से पाचन तंत्र ठीक होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। इन गुणों के कारण ही एलोवेरा थायराइड को ठीक करने में सक्षम है (27)। वहीं, तुलसी के रस में एंटीमाइक्रोबियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक हैं (28)।
आर्टिकल के इस हिस्से में हम थायराइड चार्ट के बारे में बता रहे हैं।
थायराइड चार्ट – Thyroid Chart in Hindi
थायराइड का पता लगाने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के स्तर की जांच की जाती है। यह महिला और पुरुष में अलग-अलग होता है, जिसे हम यहां चार्ट के जरिए बता रहे हैं :
महिलाओं में टीएसएच स्तर
आयु | सामान्य | कम | अधिक |
18 से 29 वर्ष | 0.4-2.34 mU/L | < 0.4 mU/L | > 4.5 mU/L |
30 से 49 वर्ष | 0.4-4.0 mU/L | < 0.4 mU/L | > 4.1 mU/L |
50 से 79 वर्ष | 0.46-4.68 mU/L | < 0.46 mU/L | 4.7-7.0 mU/L |
पुरुषों में टीएसएच स्तर
आयु | सामान्य | कम | अधिक |
18 से 30 वर्ष | 0.5-4.15 mU/L | < 0.5 mU/L | > 4.5 mU/L |
31 से 50 वर्ष | 0.5-4.15 mU/L | < 0.5 mU/L | > 4.15 mU/L |
51 से 70 वर्ष | 0.5-4.59 mU/L | < 0.5 mU/L | > 4.6 mU/L |
71 से 90 वर्ष | 0.4-5.49 mU/L | < 0.4 mU/L | > 5.5 mU/L |
आगे हम बता रहे हैं कि थायराइड के मरीज को खाने-पीने में क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
थायराइड में क्या खाएं, क्या न खाएं – Diet for Thyroid in Hindi
आप चाहे थायराइड से ग्रस्त हों या फिर किसी अन्य बीमारी है, उसके लिए पर्याप्त इलाज जरूरी है। साथ ही कुछ घरेलू नुस्खों को भी आजमाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि ये घरेलू नुस्खे और इलाज भी तभी काम करते हैं, जब आप पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित भोजन करते हैं। थायराइड में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में आप इस डाइट चार्ट के जरिए समझ सकते हैं। अगर आप थायराइड में परहेज बरतते हैं, तो इस बीमारी से काफी हद तक राहत प्राप्त कर सकते हैं।
आइए, थायराइड में परहेज के लिए कुछ जरूरी टिप्स भी जान लेते हैं।
थायराइड से बचाव – Thyroid Prevention Tips in Hindi
- हर पांच साल में थायराइड की जांच करवाते रहें। खासकर, 35 साल के बाद तो यह और जरूरी हो जाता है।
- गर्भावस्था के दौरान और बाद में भी थायराइड जरूर चेक करवाएं।
- अगर थायराइड से बचाना चाहते हो, तो धूम्रपान को पूरी तरह से न कहना सीख लें।
- शराब व कैफीन से भी जितना हो सके दूरी बनाए रखें।
- अपने आप को हमेशा तनाव मुक्त रखें।
- हमेशा साफ-सुथरा पानी ही पिएं।
- ज्यादा तली-भुनी और मिर्च-मसाले वाली चीजों से दूर रहें।
- आयोडीन युक्त भोजन का सेवन करें।
- स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से योग व व्यायाम करें।
- खासतौर पर महिलाएं अपने हार्मोंस को संतुलित रखने का प्रयास करें। एस्ट्रोजन हार्मोंस का स्तर अधिक होने पर थायराइड की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। महिलाओं में थायराइड लक्षण के तौर पर हार्मोंस में बदलाव पर नजर रखनी चाहिए।
- नियमित रूप से अपने रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल की जांच करते रहें और इसे किसी डायरी में नोट करते रहें।
- समय-समय पर अपना वजन चेक करते रहें और जब भी वजन असंतुलित लगे, तो उसे नियंत्रित करने का प्रयास करें।
यह बात तो तय है कि अगर आप शुरू से नियमित दिनचर्या और संतुलित खानपान का पालन करते हैं, तो थायराइड क्या, कोई भी बीमारी आपको तंग नहीं कर सकती। वहीं, जो लोग थायराइड से त्रस्त हैं, वो भी आज से इन नियमों का पालन शुरू कर दें। इससे उन्हें थायराइड रोग और उसके लक्षणों से काफी हद तक राहत मिलेगी। इस आर्टिकल में बताए गए थायराइड रोग का उपचार और सुझाव कैसे लगे, इस बारे में हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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